INDICATORS ON पारद शिवलिंग के लाभ YOU SHOULD KNOW

Indicators on पारद शिवलिंग के लाभ You Should Know

Indicators on पारद शिवलिंग के लाभ You Should Know

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घर में पराद शिवलिंग रखना शुभ होता है। शिवलिंग को घर में रखने से घर में सुख-शांति और नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता है। लेकिन शिवलिंग को घर में रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता हैः

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सांसारिक सुखो की प्राप्ति होती है पारद कहते हैं पारा यानी मरकरी को जो आपको थर्मामीटर के अंदर चमकता हुआ दिखता है।

ज्या घरात पारद शिवलिंग असेल तेथे धन धान्य, आरोग्य ,पद प्रतिष्ठा , सुख , भरभराटीचे असते.

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- शिवलिंग घरों में अलग तरह से स्थापित होता है और मंदिर में अलग तरीके से.

महागौरी- श्रीं क्लीं ह्रीं वरदायै नमः।।

इस शिवलिंग की स्थापना आप सोमवार या चंद्र के किसी भी नक्षत्र यानि रोहिणी, हस्त या श्रवण नक्षत्र में कर सकते हैं।

इसके पूर्व इस कवच को गंगाजल या कच्चे दूध की छींटे मारकर इसे शुद्ध करें।

तुम्ही भक्तिभावनेने त्या शिवलिंगाला देवघरात स्थान देऊ शकता. 

म्हणजेच कोट्यावधी शिवलिंगाच्या दर्शनाचे फळ एकट्या पारद शिवलिंगाच्या पूजेने आणि दर्शनाने मिळते. पारद शिवलिंगाची पूजा केल्याने सकारात्मक फळ लाभते. धार्मिक मान्यतेनुसार, click here पारद शिवलिंग हे भगवान शंकराचे वास्तविक रूप आहे, म्हणून या शिवलिंगाची विधीवत पूजा केल्याने अनेक प्रकारे फायदा होतो. घरातील पारद शिवलिंग सौभाग्य, शांती, आरोग्य आणि सुरक्षिततेसाठी अत्यंत शुभ आहे. दुकाने, कार्यालये आणि कारखान्यांमध्ये व्यवसाय वाढवण्यासाठी पारद शिवलिंगाची पूजा हा एक निश्चित मार्ग आहे.

वैदिक शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि स्फटिक शिवलिंग की आराधना करने से व्यक्ति को ज्योतिर्लिंग की पूजा के समान ही फल प्राप्त होता है। इसकी पूजा से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं। स्फटिक शिवलिंग की आराधना से जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि आती है और शिवजी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त शिवलिंग की पूजा से घर में प्रेम और सौहार्द का वातावरण रहता है। ये शिवलिंग समस्त प्रकार के कष्टों को हरता है। साथ ही यदि कोई व्यक्ति शिव की अनु-कंपा प्राप्त करना चाहता है तो उसे स्फटिक से बने इस शिवलिंग की पूजा अवश्य करनी चाहिए। यह शिवभक्तों की मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करता है।

पूजा के बाद इन शिवलिंगों की देखभाल कैसे करें?

जहरीला होने के कारण पारे को अष्ट संस्कार करके ही शिवलिंग निर्माण किया जाता है

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